मुस्लिम धर्मगुरूओं की  लोगों सेे अपील कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लोग शबे बारात के मौके पर कब्रिस्तान, दरगाह अथवा मजारों पर जाने से बचें

 



  1. शबे बरात 8 अप्रैल की रात को मनाई जाएगी। इस निस्फ शाबान या मध्य शाबान भी कहा जाता है


 



  1. मुस्लिम समाज का एक खास त्योहार शबे बरात बुधवार को है। इस दिन समाज के लोग रातभर कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाकर फातेहा पढ़कर उसका सबाब बख्शते है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बारमुस्लिम धर्मगुरूओं और बुद्धजीवियों ने अपील की है कि देश में फैले कोरोना संक्रमण के मद्देनजर लोग शबे बारात के मौके पर कब्रिस्तान, दरगाह अथवा मजारों पर जाने से बचें और घर पर ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए इबादत करें।


राजधानी भोपाल के शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी सहित प्रदेश के सभी जिले के काजियों और मस्जिदों के इमामों ने अपने समुदाय के लोगों से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव करने की अपील करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार और डॉक्टर के मशवरों पर अमल करें। और इस बार कब्रिस्तानों में इबादत करने नहीं जाएं। घर पर ही रहकर इबादत करें और अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगे। जिससे इस महामारी से बचा जा सके। काजियों ने अपील की है किसभी लोग अपने घर के अंदर ही रहे और खांसी आने पर रूमाल रखें। नजला बुखार होने पर डॉक्टर से जांच कराएं। सफाई का ध्यान रखें दिन में कई बार हाथ धोयें। नमाज घर पर ही पढ़ें, बीमारी के खात्मे के लिए दुआ करें। शब ए बरात पर घर में ही इबादत करें कब्रिस्तान ना जाएं। अपने मुल्क और दुनिया से कोरोना के खात्मे के लिए दुआएं करें।



  1. बुधवार की रात होगी इबादत


शबे बरात 8 अप्रैल की रात को मनाई जाएगी। इस निस्फ शाबान या मध्य शाबान भी कहा जाता है। यह रमजान के पवित्र महीने के शुरू होने से तकरीबन 15 दिन पहले मनाई जाती है। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की पंद्रहवी रात को शबे ए बरात आती है। शबे ए बरात दो शब्दों शब और बरात से मिलकर बना है। शब का अर्थ है रात। वहीं, बरात का अर्थ बरी या मुक्ति। मुसलमानों के लिए यह रात इबादत के लिहाज से बहुतअहम होती है। ऐसे माना जाता है कि इस पवित्र रात में अगले साल के लिए सभी मनुष्यों की किस्मत तय की जाती है। इस दिन मुसलमान अपने घरों में तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। इस दिन ज्यादातर घरों में हलवे से चीजें बनाई जाती हैं जिसे इबादत के बाद गरीबों में बांट दिया जाता है।



  1. इस रात इबादत का महत्व


इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि शबे बरात को अल्लाह अपने बंदों पर बेहद मेहरबान होता है और वो इस रात इबादत करने वालों को माफ कर देता है। इस दिन मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। यही वजह है कि इसे मोक्ष की रात भी कहा जाता है। शबे बरात को को सारी रात इबादत और कुरान की तिलावत की जाती है। इस रात लोग अपने उन परिजनों के लिए भी दुआएं मांगते हैं जो दुनिया को अलविदा कह चुके है। लोग इस रात अपने करीब के कब्रिस्तानों में जियारत के लिए भी जाते हैं।