दुध मुंहे बच्चों को गोद में लेकर पुणे से पैदल दमोह आ रहे मजदूर, न खाने का ठिकाना न ठहरने का इंतजाम



  1. प्रशासन और जनप्रतिनिधि में से किसी ने नहीं ली सुध
    प्रदेश वापस आ रहे मजदूरों की पीड़ा और मुश्किलों की लाइव रिपोर्ट


 



मध्यप्रदेश के सागर और दमोह जिले के करीब 60 दिहाड़ी मजदूर परिवारों का जत्था पुणे के एक कंस्ट्रक्शन साइट्स से प्रदेश के लिए निकला है। जब देश में 21 दिन के लॉक डाउन की घोषणा हुई तब वे घबराकर पैदल ही 1200 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े हैं। उन्हें पैदल चलते हुए 6 दिन हो गए हैं। इन मजदूरों के साथ 5 से 10 साल के बच्चे और महिलाएं भी हैं। देशभर में जारी लॉक डाउन के बीच ये दहशत और भूख के साथ लड़ते हुए अपने घरों की ओर पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले आशीष पाल कहते हैं कि चिंता है कि न जाने कब तक यह लॉक डाउन रहेगा , कहीं उन्हें भूखों ना मरना पड़े इसलिए वे सब पैदल चलने को मजबूर हुए हैं।


बलराम पाल ने कहा कि रास्ते में हाईवे पर चलते हुए पुलिस उन्हें आगे बढ़ाती जा रही है । कभी कोई बिस्किट पानी दे देता है तो कभी वे अपने पास रखे मुरमुरे चने बिस्किट खाकर पेट भर लेते हैं लेकिन अब तो वह भी ख़तम हो चुका है । अपने बच्चों के साथ चल रहीं कोमल बाई कहती हैं कि रात सड़क के किनारे बने मंदिर या किसी पेड़ के नीचे गुजार लेते हैं, उनकी एक ही आस है कि कोई सरकार उन्हें उनके घर तक पहुंचा दे। एक रात उन्होंने बारिश से बचने के लिए हाईवे के किनारे खड़े एक ट्रक में आसरा लिया। सुबह के 4 बजे से रात के 9 बजे तक पैदल वे रोजाना 50-60 किमी का सफर कर रहे हैं। सबसे बुरी हालत छोटे बच्चों की है जिन्हें कभी वे पैदल चलाते हैं तो कभी कंधे पर बिठा लेते हैं । साथ में कुछ सामान भी ढोए जा रहे हैं। 


मुख्यमंत्री के पत्र का कोई असर नहीं : 
राष्ट्रीय युवा संगठन के सामाजिक कार्यकर्ता रामकुमार विद्यार्थी इन मजदूरों के लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने अपने स्तर पर प्रदेश सरकार, अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगाई है लेकिन इन मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है। विद्यार्थी ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर ये कहा था कि वे उनके राज्य के मजदूरों के रहने और खाने पीने का इंतजाम करें जिसका खर्च मध्यप्रदेश सरकार उठाएगी लेकिन इस पत्र का कहीं कोई असर नजर नहीं आ रहा है। मजदूरों की सहायता करने में स्थानीय प्रचार भी लाचार नजर आता है। जनप्रतिनिधियों से कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। 


मजदूरों में अफरा-तफरी : 
डर के कारण मजदूरों में अफरा-तफरी मची हुई है। कुछ लोग किसी तरह प्रदेश की सीमा तक पहुंच रहे हैं। बाकी लोगों को लगता है कि जैसे-तैसे यदि वे प्रदेश की सीमा तक पहुंच गए तो वे अपने घर पहुंच जाएंगे। इसी के चलते लोगों का झुंड बढ़ता जा रहा है और सोशल डिस्टेंसिंग के बिना इन मजदूरों के बीच जान का जोखिम भी बन गया है। सागर और दमोह जिले के ये दिहाड़ी मजदूर अचानक ही पुणे से निकल पड़े , उन्हें काम के पैसे भी नहीं मिल सके। दमोह के धन्नौर गुंजी पंचायत के रहने वाले मजदूर आशीष पाल, सागर जिले के नरियावली विधानसभा के पडरिया पंचायत के बलराम पाल और अनिल पाल ने फोन पर बताया कि वे काफी परेशान हैं, क्या कोई उनकी सुध लेगा।