- 15 हजार आधार नंबर डिलीट होने की बात कर रहे जिम्मेदार
भोपाल. गरीबों को दिए जाने वाला राशन जितना आया उतना बंट गया, लेकिन जरूरतमंद आज भी राशन के लिए परेशान हैं। ऐेसे में सवाल उठता है कि राशन गया तो कहां गया। क्या कालाबाजारी के भेंट चढ़ गया या फिर खाद्य अफसरों की लापरवाही से गैर जरूरतमंद लोगों तक पहुंच गया। अब नई व्यवस्था जिसमें चार किलो गेहूं और एक किलो चावल देना है वो भी नहीं दिया जा रहा। गैस पीडि़त बुजुर्ग महिलाओं का एनआईसी पोर्टल से आधार नंबर ही डिलीट हो गए हैं। करीब 15 हजार आधार नंबर अधिकारी डिलीट होना बता रहे हैं। ऐसे में लगभग 80 फीसदी गैस पीडि़त विधवाएं राशन के लिए मोहताज हैं। बाजार बंद हैं, उनके घरों में चूल्हे तक नहीं जल रहे। इधर आदमपुर छावनी में गरीबों ने राशन को लेकर हंगामा भी किया है। उनका कहना है कि रोज कमा कर खाने वाले लोग कहां जाएं राशन के लिए। ग्रामीण क्षेत्र स्थित आदमपुर छावनी की दुकान में एक किलो चावल और चार किलो गेहूं के लिए दुकान खोली गई, लेकिन बाद में बंद कर दी।
कोरोना आपदा के समय ही जिले में लोगों के सामने राशन का संकट खड़ा हो गया था। जो लोग सरकारी पीडीएस दुकानों से राशन लेते थे उनके संबंध में खुद खाद्य विभाग ने बताया कि जिले में 80 फीसदी लोगों को मई माह तक का राशन उपलब्घ करा दिया है। इसके बाद मार्च के आखिर में बेखर, बेसहारा लोगों का करीब 2000 हजार क्विंटल खाद्यान का कोटा आया जिसे राशन दुकानों से वितरित करना बताया जा रहा है। लेकिन स्थिति ये है कि आज दुकानें खुल जाएं तो राशन लेने वालों की कतार लग जाएगी। इससे साफ होता है कि कहीं न कहीं बड़ी मिलीभगत से राशन को कहीं ठिकाने तो नहीं लगा दिया। जिला खाद्य आपूर्ति ज्योति शाह नरवरिया का कहना है कि जो लोग राशन ले गए थे वे दोबारा से दुकानो से राशन ले गए। अगर ऐसा भी हुआ है तो इसमें राशन दुकानदारों और खाद्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही है। उन्होंने गरीबों का राशन देते समय क्यों नहीं चेक किया कि ये व्यक्ति राशन ले गया है। दोबार क्यों आया है?
- शहरी क्षेत्र में दुकानें बंद, सूची से घबराया विभाग
इधर शहरी क्षेत्र की राशन दुकानों को बंद की दिया है। सूत्रों का कहना है कि गरीबों के नाम पर कुछ विधायकों की तरफ से सूची भेजी गई है। जिसमें पांच से 10 हजार तक गरीबों के नाम हैं। जिसे देने में विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं।