भोपाल नगर निगम में संपत्ति कर के नाम पर वसूली कर अपना घर भर रहे वार्ड प्रभारी




  1. हज़ारों चुका कर सैकड़ों की रसीद मिल रही लोगों को


 


भोपाल नगर निगम में राजस्व की वसूली कर घाटा भरने की कवायदों में जुटे आला अधिकारियों की मेहनत पर पानी फेरते नज़र आने वाले वार्ड 76 के  प्रभारी मसूद अली की भ्रष्टाचारी कारगुजारियों के किस्से अब वार्ड कार्यालय से बाहर खुली फ़िज़ाओं में तैरने लगे हैं । वार्ड 76 के निगम कार्यालय में पसरे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कोशिश न करते हुए प्रभारी मसूद अली स्वयं ही गोलमाल के आका बने बैठे हैं । वार्ड में संपत्ति कर वसूली की आड़ में आमजनों को बेवकूफ बनाकर जमकर चांदी काटी जा रही है जिसमे वार्ड प्रभारी मसूद अली के साथ इंसाफ नामक कर्मचारी भी लगातार सक्रिय है, हालांकि मसूद अली को वार्ड 76 में आमद दिए महज एक साल ही हुआ है लेकिन भ्रष्टाचार करने के तरीके यह साबित करते हैं कि उन्हें इस काम मे महारत हासिल है । इन कारगुजारियों को लेकर वार्ड प्रभारी और उनके खास पर जो भी कार्यवाही हो लेकिन एक बात तो तय है कि करोड़ों के घाटे में चल रहा निगम का राजस्व खजाना इन्ही जैसे लोगों के कारण खाली है क्योंकि निगम के खजाने में जाने वाली रकम इनके निजी खजाने की शोभा बढ़ा रही है । 



  1. वार्ड 76 के प्रभारी ऐसे कर रहे भ्रष्टाचार


पहले तो आमजनों पर निगम के बांकी संपत्ति कर को बढ़ा चढ़ा कर बताया जाता है, लोगों द्वारा जानकारी मांगने पर सबकुछ ऑनलाइन होने, एक कंप्यूटर खराब होने व जी-आई-एस डेटा का हवाला देकर टाल दिया जाता है । इसके बाद लोगों से मदद और रियायत के नाम पर कम राशि में तोड़ किया जाता है जिसके एवज में लोगों को हज़ारों रुपये जमा करने पर भी महज सैकड़ों रुपयों की रसीद थमा दी जाती है । सूत्रों की माने तो वार्ड 76 में कई मकानों का टैक्स आज भी प्लाट के रूप में जमा हो रहा है या 2 से 3 मंजिला इमारत का टैक्स महज़ कुछ ही वर्ग फ़ीट का जमा हो रहा है । और भी कई वार्ड प्रभारियों के कालेे कारनामों को जल्द करेंगे उजागर कई वार्ड में चल रहा है  वसूली के नाम पर अपनी जेबें भरने का खेल चल रहा है ज्यादातर जॉन कार्यालय और वार्ड कार्यालय में 25 दिन और 89 दिन कर्मचारियों की ही बल्ले बल्ले क्योंकि परमानेंट कर्मचारी और अधिकारी सारे काम इन्हीं कर्मचारियों से करवाते हैं अगर 25 से कर्मचारी किसी कारण किसी मामले में  फंस भी जाते हैं  उन्हें हटाकर तुरंत दूसरे वार्ड में यह जॉन मैं फिर रख लिया जाता है कई मामले प्रकाश में ऐसे भी आए की 25 दिवसीय कर्मचारियों की शिकायत कमिश्नर तक से की गई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
आज भी भोपाल के तमाम जोनों में ड्राइवरों से अवैध वसूली का काम चल रहा है कोई यही कारण है कि ड्राइवर फिर निगम की गाड़ियों से डीजल चोरी करते हैं क्योंकि उन्हें सुपरवाइजर को महीने में पैसे देना होते हैं सारे वार्डों में ही 25 दिवसीय कर्मचारी सुपरवाइजर हैं