मध्यप्रदेश में 80 एनजीओ की मान्यता रद्द; काम किए बिना ही वसूल लिए पूरे पैसे

 




भोपाल। प्रदेश के विभिन्न जिलों में बरसों से स्थापित काम न करने वाले एनजीओ की मान्यता सामाजिक न्याय विभाग ने रद्द कर दी है। एेसे करीब 80 एनजीओ हैं, जिनकी मान्यता पिछले कुछ महीनों में समाप्त की गई है। ये एनजीओ दिव्यांग, नशा मुक्ति और वरिष्ठजनों की सेवा के उद्देश्य से बनाए गए थे, लेकिन जिस काम का हवाला देकर इन्हें गठित किया गया था, वह इन्होंने नहीं किया। अब ऐसे अन्य एनजीओ की मान्यता भी खत्म की जाएगी। कई एनजीओ ऐसे भी मिले हैं, जो सामाजिक कामों की आड़ में पैसा कमा रहे थे।


सामाजिक न्याय विभाग ने करीब 700 एनजीओ को विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मान्यता दी थी। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अनेक एनजीओ ऐसे थे, जो रजिस्टर्ड तो थे पर कोई काम नहीं करते थे। वहीं, कई ऐसे एनजीओ भी थे, जो विशेष अवसरों पर केवल दिखावे के लिए रैली, पोस्टर-पेंटिंग प्रतियाेगिता या अन्य कोई कार्यक्रम कर लेते थे। जब इनकी जांच की गई तो इन एनजीओ ने ऐसा कोई काम ही नहीं किया था, जो उल्लेखनीय हो या जिसका लाभ किसी को मिला हो।


विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीते आठ महीने से निष्क्रिय एनजीओ के विरुद्ध कार्रवाई जारी है। हाल में भी कई एनजीओ की विभागीय मान्यता समाप्त की गई। अधिकारियों ने बताया कि सभी जिलों के कलेक्टरों को इस संबंध में निर्देश दिए गए थे कि वे समय-समय पर उनके जिलों में कार्यरत एनजीओ की जांच करवाएं कि यह वाकई में काम कर रहे हैं या नहीं। जांच में जिन एनजीओ का काम नहीं करना पाया गया, उन्हें नोटिस भी जारी किया गया और स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए गए। इन एनजीओ ने किसी प्रकार का स्पष्टीकरण भी नहीं दिया। ये एेसे एनजीओ हैं जो कभी-कभार ही दिखावे के लिए काम करते थे। कई तो सिर्फ रजिस्टर्ड थे और कभी कोई काम नहीं किया।


पैसा कमाने कराया रजिस्ट्रेशन
ऐसे एनजीओ भी सामने आए हैं जो विशेष अवसरों पर चंदा कर कोई कार्यक्रम कर लेते हैं। आर्थिक लाभ और सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए इनके संचालक एनजीओ का संचालन करते हैं। हालांकि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि जिन एनजीओ की विभागीय मान्यता समाप्त की गई है, उन्हें विभाग की ओर से किसी प्रकार का अनुदान नहीं दिया गया।



  1. प्रति हितग्राही 8 हजार वसूले
    भोपाल की न्यू प्रताप शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति को नशा मुक्ति के प्रचार के लिए मान्यता दी थी। संस्था भारत सरकार की योजना के तहत भोपाल-सीहोर में नशा मुक्ति केंद्रों का संचालन करती है। निरीक्षण में पाया गया कि संस्था प्रबंधन प्रति हितग्राही 8 हजार रुपए प्रतिमाह वसूल गए। संस्था से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं मिला।