- कांग्रेस पार्षदों ने लगाया डायरेक्टर पर भ्रष्टाचार का आरोप
भोपाल. डिपो चौराहा स्थित बीसीएलएल के बस डिपो में खड़ी दो लो फ्लोर बसों के जलकर खाक होने का मामला फाइलों में बंद कर दिया गया है। बीसीएलएल ने इस हादसे की जांच किसी तीसरे पक्ष से कराने की बजाए उसी ठेकेदार को सौंप दी थी जिसके डिपो में बसें खड़ी हुई थीं। ठेकेदार कैपिटल रोडवेज के डिपो में हुई घटना के बाद बीसीएलएल ने जांच कराने का दावा किया था। डायरेक्टर केवल मिश्रा ने मामले में एफआईआर कराने के निर्देश तक दिए थे, लेकिन मामला लीपापोती कर खत्म कर दिया गया।
भ्रष्टाचार की जांच की मांग की
इधर कांग्रेस पार्षद गिरीश शर्मा सहित अन्य विपक्षी नेताओं ने बीसीएलएल में हो रहे भ्रष्टाचार की विस्तार से जांच की मांग की है।शर्मा ने तर्क दिया है कि जेएनआरयूएम फंड से खरीदी गई 225 बसें निजी ठेकेदारों को सौंपकर डायरेक्टर और चुनिंदा अधिकारी मिलीभगत कर रहे हैं। कंपनी का मुनाफा ठेकेदार और चुनिंदा अफसरों तक पहुंच रहा है। बीसीएलएल में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन के अलावा बाकी खर्चें निकालने में आर्थिक संकट का हवाला दिया जाता है जबकि बसों से हर महीने लाखों रुपए की आमदनी हो रही है।
ये है टैक्स का पुराना विवाद
परिवहन विभाग ने नोटिस में कहा था कि सिटी परमिट पर चलने वाली बसों के लिए 200 रुपए प्रति सीट की दर से टैक्स वसूला जाता है। 52 सीटर लो फ्लोर पर ये राशि 10 हजार 400 रुपए राशि बनती है। इसी प्रकार सिटी परमिट के लिए इन वाहनों पर 90 रुपए प्रति सीट शुल्क लिया जाता है। 52 सीटर लो फ्लोर बस पर ये राशि 4 हजार 680 रुपए प्रति बस प्रतिमाह बनती है। परिवहन विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक बीते पांच साल से बसों का टैक्स बकाया चल रहा है।
8 साल में 95 बसें कंडम
बीसीएलएल ने जेएनएनयूआरएम फंड से 22 लाख रुपए प्रति बस के हिसाब से लो फ्लोर मॉडल की डीजल से चलने वाली 225 बसें खरीदी थीं। नवंबर 2010 से अब तक इन बसों को चलाने में जितनी कमाई नहीं हुई उससे ज्यादा घाटा हुआ है। अब तक ऐसी 100 बसें कंडम होकर यार्ड में खड़ी हो चुकी हैं।
गलत हुआ है तो कार्रवाई जरूर होगी
इस मामले की जांच रिपोर्ट ठेकेदार ने भेज दी है। मैंने अभी रिपोर्ट देखी नहीं है, सीईओ और संबंधितों से चर्चा करूंगा। यदि गलत हुआ है तो इस पर कार्रवाई जरूर होगी।
- केवल मिश्रा, डायरेक्टर, बीसीएलएल
- बीसीएलएल की बसों से आमदनी, विज्ञापन से कमाई पर्याप्त हो रही है, फिर भी संस्थान को हमेशा घाटे में ही दिखाया जाता है। जो पद स्वीकृत नहीं हैं उन पर यहां भर्तियां की गई हैं। पिछले कई सालों से ये भ्रष्टाचार चल रहा है।
गिरीश शर्मा, कांग्रेस पार्षद, नगर परिषद