अनुसूचित जनजाति बालक माध्यमिक आश्रम शाला का हाल: टॉयलेट के पानी से नहा रहे बच्चे, बिस्तरों से आ रही दुर्गन्ध, फ्रीज-किताब कार्टन में बंद थे

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  2. आश्रम शाला में मासूम सूरज की हत्या का मामला                                          

  3. चार साल से एक भी अधिकारी नहीं पहुंचा, आदिवासी विकास मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने किया निरीक्षण तो सामने आई लापरवाही, राशन सामग्री गंदगी में रखी थी, डिप्टी कमिश्नर को फट लगाई
     अनुसूचित जनजाति बालक माध्यमिक आश्रम शाला का हाल: टॉयलेट के पानी से नहा रहे बच्चे,  बिस्तरों से आ रही दुर्गन्ध, फ्रीज-किताब कार्टन में बंद थे



भोपाल. शासकीय अनुसूचित जनजाति बालक माध्यमिक आश्रम शाला में सात साल के बच्चे सूरज की गला दबाकर हत्या के बाद शुक्रवार को आदिवासी विकास मंत्री ओमकार सिंह मरकाम निरीक्षण करने पहुंचे। निरीक्षण में सामने आया कि टॉयलेट के पानी से बच्चों को नहलाया जा रहा है। सोने के बिस्तर दुर्गन्ध मार रहे हैं। आटा, चावल समेत अन्य खाद्य सामग्री गंदगी के बीच खुले में रखे मिले। आश्रम के हर फ्लोर पर मिली अनियमितता पर मंत्री मरकाम ने डिप्टी कमिश्नर सीमा सोनी, असिस्टेंट कमिश्नर अविनेश चतुर्वेदी को जमकर फटकार लगाई। मंत्री ने मामले को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात कर अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं, बच्चे के परिजनों को दो लाख रुपए आर्थिक मदद देने की घोषणा भी की है। हॉस्टल का चार साल से किसी ने निरीक्षण तक नहीं किया था। मालूम हो कि बुधवार को सात साल के पहली कक्षा में पढऩे वाले सूरज की गला दबाकर हत्या कर दी गई थी।




  1. शर्मनाक: धागे से पैर में बांध रखी थी टूटी चप्पल


मंत्री सबसे पहले बच्चों की कक्षा में गए। उक्त कमरे की खिड़की के कांच टूटे पड़े थे। पढ़ाई के नाम पर हर क्लास के बच्चों को एक साथ बिठाया गया था। इस कमरे में जंग लगी लोहे की रॉड पड़ी हुई थी। एक बच्चे की चप्पल टूटने पर उसने धागे से पैर पर बांध रखी थी। मंत्री की इन सब पर नजर पड़ी। उन्होंने बच्चे से पूछा कि तुम्हारी चप्पल टूट गई, तो नई दिला देंगे। कमरे में जंग लगी पड़ी रॉड को तुरंत हटाने के निर्देश दिए। कमरे के बाहर निकलकर मंत्री ने अन्य क्लास का निरीक्षण किया। उनमें भी कई अनियमितताएं मिली। मंत्री उस बाथरूम में भी गए जहां बच्चे की हत्या की गई थी। वहां टूटी-फूटी टेबिल रखी हुई मिलीं। जिस पर मंत्री ने नाराजगी जताई।



सवा सौ वर्ग फीट के कमरे में 11 बच्चे रह रहे हैं
यहां से मंत्री दूसरे फ्लोर पर पहुंचे। जिस पर पांच कमरे थे। इसमें तीन कमरों पर रसोइए व दो कमरे बच्चों के रहने के लिए थे। इन कमरों के हालत ऐसे मिले कि उन्हें ठूस-ठूस कर रखा जा रहा है। करीब सवा सौ वर्ग फीट के कमरे में 11 बच्चे रह रहे है। इसके अंदर लगे बिस्तर ऐसे है कि एक बच्चा ढंग से नहीं रह सके, लेकिन उस पर दो-दो बच्चों को सुलाया जा रहा है। कमरों से अटैच टायलेट की कुंदी उखड़ी पड़ी मिली। फ्लेश डोर के दरवाजों में जगह-जगह छेंद मिले। मंत्री तीसरे फ्लोर पर पहुंचे। तीन कमरों में बच्चों को रखा गया है। यहां भी बच्चों के बिस्तर के हालत खराब थे। टायलेट के अंदर के टाइल्स उखड़े मिले। एक अटैच टायलेट-बाथरूम में बच्चे टायलेट के पानी से नहाने को मजबूर हैं। बाथरूम का नल कई सालों से खराब पड़ा है। जिस स्थान पर बच्चों के पानी पीने के लिए मशीन लगाई गई, उसके नीचे गंदगी का अंबार लगा हुआ था। मंत्री ऊपर छत पर पहुंचे। यहां एक कमरे में पुराने गद्दे-चादर भरे हुए पड़े मिले। रसोई में सब्जी के नाम पर एक टमाटर, चंद आलू व खराब चावल रखे हुए मिले। मंत्री ने नाराजगी जताई।


 


मंत्री ने गेस्ट रजिस्टर देखा, चार साल से एक भी अभिकारी नहीं आया
मंत्री ने वार्डन के कमरे से अवलोकन कर निरीक्षण रजिस्टर जब्त किया। जिसमें कुछ बाहरी लोगों के अवलोकन की टीप है। लेकिन एक भी अधिकारी के निरीक्षण की टीप नहीं है। प्रारंभिक जांच में उक्त हॉस्टल का चार साल से किसी अधिकारी ने निरीक्षण नहीं किया। इस पर मंत्री ने अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई।


56 बच्चों को पांच कमरे, तीन पर रसोइए और वार्डन का कब्जा
बच्चों को ठूस-ठूस कर हॉस्टल में रखा जा रहा है। करीब सवा सौ वर्ग फीट के अलग-अलग पांच कमरों में 56 बच्चे रह रहे हैं। जबकि तीन कमरों पर रसोइए और वार्डन खुद के लिए कब्जा कर रखा है।



  1. वार्डन के कमरे में पैक रखे हुए फ्रीज-इनर्वटर और किताबें


मंत्री ने वार्डन के ऑफिस का निरीक्षण किया। जिसमें बोरे में भरकर किताबें रखी हुई थीं। दो फ्रीज पैक रखे मिले। जिन्हें बच्चों के लिए खोला नहीं नहीं गया। दो इनवर्टर भी रखे मिले। मंत्री ने पूछा, तो वार्डन ने कहा कि सात महीने पहले आए थे। जगह ना होने के कारण फ्रीज को नहीं खोला गया। जबकि बिल्डिंग में फ्रीज रखने के लिए कई स्थान है।


 



  1. हॉस्टल के  कर्मचारियों को पांच माह से नहीं मिला वेतन


 


हास्टल में खाना बनाने वाले दो रसोइए व एक अन्य 25 दिवसीय कर्मचारी महिला थी। जिन्हें पांच माह से वेतन ही नहीं मिला है। इस पर मंत्री ने डिप्टी कमिश्नर सीमा सोनी से बात की, तो वह कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे सकीं।



  1. हॉस्टल में निरीक्षण के दौरान बड़े स्तर पर अनियमितताएं मिली हैं। रजिस्टर के अनुसार अधिकारियों ने हॉस्टल का निरीक्षण तक नहीं किया। मुख्यमंत्री से बात कर जल्द ही मामले में बड़ी कार्रवाई करूंगा

  2. ओमकार सिंह मरकाम, मंत्री आदिवासी विकास विभाग मध्य प्रदेश