भोपाल. अंतरराज्यीय बस अड्डा आईएसबीटी पर रोजाना चार हजार रुपए तक की चपत की स्थिति बन रही है। दरअसल यहां से रोजाना 260 से अधिक बसें गुजर रही है, लेकिन राशि महज 210 बसों की ही जमा हो रह है। प्रति बस एक ट्रीप 40 रुपए की रसीद काटी जाती है। रोजाना 50 बसों को बिना रसीद ही रवाना करने से दो हजार रुपए रोजाना व रात के समय यहां रूकने वाली बस से कुछ नहीं लिया जाता। नाइट हॉल्ट का प्रतिबस 100 रुपए तय है, लेकिन इसकी रसीद नहीं काटी जाती। 20 से 25 बसें यहीं रूकती है, यानि ढाई हजार रुपए रोजाना इसकी चपत लग रही है। कुल चपत रोजाना चार हजार रुपए से साढ़े चार हजार रुपए बन रही है। एक माह में ये सवा लाख रुपए के करीब है।
गौरतलब है कि होशंगाबाद, पिपािरया और इसी तरफ की बसों को आईएसबीटी से संचालित किया जाता है, जबकि इंदौर, सीहोर, नरसिंहगढ़, राजगढ़ जाने वाली बसों का बैरागढ़ के हलालपुर से संचालन होता है। बैरसिया, विदिशा की और आवाजाही करने वाली बसें नादरा बस स्टैंड से चलाई जाती है। सभी बस स्टैंड पर कमोबेश यही स्थिति है। यहां निगम संचालन दुरूस्त कर लें और नागरिक सुविधाएं बेहतर कर लें तो निगम की आय बढ़ सकती है।
एक कर्मचारी पर पूरा जिम्मा है
बसों से प्रति ट्रीप वसूली जाने वाली राशि भी जोन नंबर नौ के संबंधित वार्ड की बजाय सीधे भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड के माध्यम से जमा हो रही है। जबकि इसे नगर निगम के जोन नौ के संबंधित वार्ड के माध्यम से खाते में जमा होना चाहिए। अभी आईएसबीटी पर एकमात्र कर्मचारी नियुक्त है। यही यहां का पूरा प्रभार संभाले हुए हैं। यहां से सीधे बीसीएलएल को 8800 रुपए से 9000 रुपए तक जमा किए जा रहे हैं। आईएसबीटी पर निगम व बीसीएलएल की और से नियुक्त प्रभारी आरके चतुर्वेदी का कहना है कि हम वार्ड में राशि नहीं देते, सीधे बीसीएलएल को देते हैं और ये निगम के खाते में जमा करते हैं। अब जितनी बसें है, उतनी ही राशि देते हैं।
- अपर आयुक्त पवनकुमार सिंह आईएसबीटी पर प्रति ट्रीप होने वाली आय और यहां से गुजरने वाली बसों की ट्रीप को दिखवाने की बात कह रहे हैं