- भोपाल. बीएचईएल भेल की खाली पड़ी जमीन पर लगातर अतिक्रमण किया जा रहा, इसके बाद भी भेल प्रबंधन इन अतिक्रमणकारियों के विरुद्व कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसका फायदा उठाकर अतिक्रमणकारी नित नई झुग्गियां तान रहे हैं। यह हाल तब है, जबकि भेल के सम्पदा अधिकारी को किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की सजा देने का अधिकार है। फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि भेल प्रशासन द्वारा इन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
उधर, राज्य सरकार भी जमीन भेल के कब्जे में होने से इस पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। यही वजह है कि भेल के कब्जे वाली इस जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने हजारों की संख्या में झुग्गियां बना ली हैं।
गौरतलब है कि 29 जनवरी 1986 को कलेक्टर की अध्यक्षता में झुग्गी झोपड़ी आवासहीन मजदूर महासंघ और बीएचइएल भोपाल यूनिट के मध्य एक समझौता हुआ था, जिसके तहत सुदामा नगर, आचार्य नरेंद्र देव नगर, विश्राम नगर, आनंद नगर पिपलानी चमारन की शिवनगर झुग्गी बस्ती आदि को जहां मौजूद हैं वहीं पर बसाने को कहा गया था। इसके साथ ही भेल क्षेत्र की बस्तियों गोविंदपुरा, ए सेक्टर अर्जुन नगर, आदर्श नगर एवं आजाद नगर को प्रस्तावित जगहों पर भेजने की सहमति बनी थी।
चांदमारी सी सेक्टर पिपलानी मस्जिद के पीछे वाली झुग्गी, बी सेक्टर एवं राममंदिर के पास वाली चारों झुग्गी बस्तियों को आनंद नगर के पास प्रस्तावित वैकल्पिक स्थान पर बसाने की सहमति बनी थी। कैलाश नगर की भूमि पर बसी झुग्गी बस्ती, अन्ना नगर, धनवंतरि पार्क गांधी नगर, एकता नगर, कान्वेंट स्कूल के पीछे, पंचपीर नगर, जय हिन्द नगर, बरखेड़ा चर्च के पीछे की झुग्गी, सी सेक्टर काली बाड़ी की झुग्गी, संत रविदास नगर झुग्गी बस्ती बरखेड़ा आदि को विस्थापन करने की सहमति बनी थी।
पुराना नगर, 100 क्र्वाटर, राम मंदिर के पीछे की झुग्गियां, 60 क्र्वाटर पिपलानी, 40 क्र्वाटर पिपलानी, 50 क्र्वाटर पिपलानी, इन्द्र नगर बरखेड़ा, राजीव नगर ए से डी सेक्टर बरखेड़ा, फारेस्ट सेक्टर बरखेड़ा, नेहरू नगर आदि सभी झुग्गी बस्तियों को मिलाकर समझौते के समय वर्ष 1986 में 3577 झुग्गियां थीं। वर्तमान में इनकी संख्या लगभग 70 हजार तक पहुंच चुकी है।
इन बस्तियों को विस्थापित करने का किया जा चुका है समझौता
सूत्रों की मानें तो अन्ना नगर, विकास नगर, पुराना नगर, एकता नगर, राजीव नगर डी सेक्टर बरखेड़ा, पद्मनाभ नगर बरखेड़ा आदि झुग्गी बस्तियों के विस्थापन के लिए राज्य सरकार, भेल प्रशासन और एमपी हाउसिंग बोर्ड के बीच एएमयू पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
फल-फूल रहीं झुग्गी बस्तियां
राजधानी में दिन-ब-दिन झुग्गी बस्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसे रोकने न तो राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है और न ही भेल प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है, जिससे भेल की कब्जे वाली जमीन पर रोजाना नई झुग्गियां तानी जा रही हैं। इसके पीछे की एक वजह राजनीतिक संरक्षण भी बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि अपने वोट वैंक में इजाफा करने के लिए इन अतिक्रमण कारियों को संरक्षण दे रहे हैं, जिससे इन पर कोई भी जिम्मेदार कार्रवाई करने से कतराता है।
झुग्गियों की होती है खरीद फरोख्त
भेल के कब्जे वाली जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई झुग्गियों की खरीद-बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। इन झुग्गी बस्तियों में कुछ अतिक्रमणकारी पहले जगह घेरते हैं, फिर उस पर बांस बल्ली और घासफूस की टपरी बनवाते हंै, इसके बाद भीतर से पक्की दीवार बन देते हैं। झुग्गी तैयार होने के बाद उसे बेच कर नई झुग्गी तान देते हैं। - नगर प्रशासन की बेदखली टीम समय-समय पर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कारवाई करती रहती है। यदि ऐसा कुछ होता है तो नगर प्रशासन द्वारा तत्काल कार्रवाई की जाती है।
संजय राजवंशी, पीआरओ भेल
जिम्मेदारों की अनदेखी से भेल की जमीन पर अतिक्रमण कर तान दी गईं झुग्गियां अतिक्रमणकारियों के विरुद्व कार्रवाई नहीं कर रहा भेल, रोज तानी जा रहीं झुग्गियां