अब भोपाल के गैस पीड़ितों के भी बनेंगे आयुष्मान कार्ड 

  1. भोपाल। पांच लाख गैस पीड़ितों को आयुष्मान योजना में शामिल करने की तैयारी प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है। गैस राहत मंत्री आरिफ अकील और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कलेक्टर तरुण पिथोड़े से इस बारे में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नए बीपीएल कार्डधारियों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा
    इसके लिए एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा, यहां से अनुमति मिलने के बाद इसे आयुष्मान योजना में शामिल किया जाएगा। इस योजना में शामिल करने के पीछे गैस राहत मंत्री का तर्क है कि शहर के गैस राहत अस्पतालों की सेहत सुधारने के लिए बार-बार विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं, बावजूद इसके डॉक्टरों के खाली पदों को भरने में दिक्कत आ रही है।
    आयुष्मान योजना में गैस पीड़ितों को शामिल किए जाने से उनका इलाज प्राइवेट अस्पतालों में होने लगेगा। मरीजों को इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। गैस राहत विभाग के अफसरों ने बताया कि अभी गैस पीड़ित मरीजों के कैंसर का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराने की अनुमति दी गई है, जबकि ट्रांसप्लांट के लिए स्पेशल परमिशन जारी की जाती है। आयुष्मान में शामिल किए जाने के बाद इलाज में दिक्कत नहीं आएगी।
    इन अस्पतालों में रोज 5 हजार की ओपीडी
    गैस त्रासदी के 35 साल बाद भी गैस राहत विभाग किडनी, श्वास, लिवर सहित अन्य बीमारियों के विशेषज्ञों की भर्ती कमला नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी महिला एवं बाल्य चिकित्सालय, मास्टर लाल सिंह अस्पताल में नहीं कर पाया है। अफसरों ने बताया कि गैस राहत विभाग के अस्पतालों में रोजाना 5 हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं।
    1985 में जब ओपीडी में मरीजों का इलाज शुरू हुआ था। उस वक्त मरीजों की संख्या 6 लाख 88 हजार 322 थी। साल दर साल बढ़कर अब 10 लाख 24 हजार 618 मरीजों की संख्या पर पहुंच गई है। इन मरीजों के इलाज के लिए शहर के गैस पीड़ित अस्पतालों में कुल 157 मेडिकल ऑफिसर के पद हैं। इसमें से 129 भरे हुए हैं, जबकि 38 खाली थे। इसमें से 25 पदों पर डॉक्टरों की नियुक्ति कर ली गई है। इसी तरह 89 पद विशेषज्ञों के हैं। इसमें से 63 विशेषज्ञ काम कर रहे हैं।