झाबुआ में चला कमलनाथ का जादू

  1.    भोपाल। मध्य प्रदेश के झाबुआ विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में मुख्यमंत्री कमलनाथ का मैजिक चला है। कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने बड़ी जीत दर्ज की है। भाजपा को इस हार से बड़ा झटका लगा है, विधानसभा में जहां कांग्रेस के पास अब 115 का जादुई आंकड़ा होगा, वहीं भाजपा के खाते से एक सीट कम हुई है। कांग्रेस अपनी परम्परागत सीट वापस हासिल करने में कामयाब हुई है। इस सीट पर भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने रोड शो भी किया था। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यहां लंबे समय तक डेरा डाल रखा था। लेकिन फिर भी उनका जादू काम नहीं आया। झाबुआ की जनता ने एक बार फिर कांग्रेस पर भरोसा जताया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट है। वहीं, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर चुनाव में सत्ता का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए हैं।
    मतगणना के दौरान शुरुआत से नतीजे कांग्रेस के पक्ष में दिखे और जश्न शुरू हो गया। कांतिलाल भूरिया 27 हजार से अधिक मतों से भाजपा के भानु भूरिया को परास्त किया है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ में एक हफ्ते तक डेरा जमाए रखा। लेकिन भाजपा के किसी भी आरोप का असर झाबुआ के वोटर पर नहीं दिखाई दिया। हालांकि, भाजपा नेता इस जीत के पीछ सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगा रहे हैं। 

  2. कमलनाथ का जादू चला
    उपचुनाव के परिणाम को सरकार के अब तक के कार्यकाल के आंकलन के तौर पर देखा जा रहा था। चुनाव की कमान सीएम कमलनाथ ने अपने हाथ मे ले रखी थी,


प्रत्याशी चयन से लेकर जीत की रणनीति में कमलनाथ का विशेष फोकस रहा, इसलिए इस चुनाव में कमलनाथ की साख दांव पर रही। कमलनाथ ने जहां सभाएं की वहां कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आये हैं। बीते करीब चार माह में वे पांच बार झाबुआ आए। अपने भाषणों में उन्होंने छिंदवाड़ा मॉडल की तर्ज पर झाबुआ के विकास की बात कही। सीएम ने चुनाव में भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की रणनीति अपनाई और वे काफी हद तक कामयाब भी हुए। भाजपा के गढ़ कल्याणपुरा में सीएम नाथ गए थे और यहां का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहा है।
भाजपा की ओर से हर चुनाव में स्टार प्रचारक के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ा चेहरा रहते हैं, किसानों के मुद्दे पर प्रदेश भर में दौरे करने वाले शिवराज का असर झाबुआ में नहीं दिखा। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में वे करीब चार दिन विधानसभा क्षेत्र में रहे। उन्होंने छोटी-छोटी सभाएं लेने के साथ ही खाटला बैठक तक की। रोड शो भी किए। कांग्रेस प्रत्याशी भूरिया और सरकार पर जमकर हमला बोला। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल की योजनाओं को गिनाया। कर्ज माफी और अधिक बिजली बिल को मुद्दा बनाया लेकिन भाजपा को सफलता नहीं मिली।



  1. अपने ही बूथ पर हारे कांग्रेस के भूरिया

  2. कांतिलाल भूरिया अपने ही बूथ से हार गए। मतदान केंद्र क्रमांक 93 में उन्होंने वोट डाला था लेकिन गोपाल कॉलोनी के इस क्षेत्र से भूरिया हार गए इस बूथ पर उन्हें  175 वोट मिले जबकि बीजेपी के भानु भूरिया को 214 वोट लेकर उनसे आगे रहे